अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का भंडाफोड़: गिरोह के सरगना जमील खान समेत चार आरोपी गिरफ्तार, पाकिस्तान वीजा की जानकारी ने बढ़ाए सवाल, लगभग 42 लाख की संपत्ति जब्त

कवर्धा। पुलिस ने अपनी चाक-चौबंद कार्रवाई के तहत अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें गिरोह के सरगना 58 वर्षीय जमील खान की गिरफ्तारी हुई है। यह गिरोह विभिन्न राज्यों से वाहन चोरी करने के बाद उन्हें फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेचने का काम करता था। चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह के सरगना जमील खान के पास पाकिस्तान का वीजा भी था, जिससे इस गिरोह की अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। इस कार्रवाई में पुलिस ने लगभग 42 लाख रुपये की चोरी की संपत्ति जब्त की है, जिसमें दो हाईवा, दो बाइक, एक कार और चार मोबाइल फोन शामिल हैं।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मुख्य रूप से मोहम्मद उजेर उर्फ उज्जी खान (27 वर्ष), मुसेद खान (20 वर्ष), मोहम्मद समीम उर्फ छोटा काला (32 वर्ष) और गिरोह का सरगना जमील खान (58 वर्ष) शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह सुनियोजित तरीके से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से चोरी किए गए वाहनों को अन्य राज्यों में बेचता था।
गिरोह की अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह वाहन चोरी के बाद उन्हें विभिन्न राज्यों में बेचने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। गिरोह का सरगना जमील खान, जो खुद हरियाणा के नूह जिले के ग्राम राजाका का सरपंच है, कई वर्षों से इस गतिविधि में संलिप्त था। पुलिस ने जब गिरोह के सरगना के पास पाकिस्तान वीजा की जानकारी प्राप्त की, तो यह मामला और भी पेचीदा हो गया। इसके बाद पुलिस ने गिरोह के अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन की जांच शुरू कर दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गिरोह की गतिविधियाँ केवल भारत तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि इसका विस्तार अन्य देशों में भी हो सकता था।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई
12-13 अप्रैल 2024 की रात कबीरधाम जिले से एक हाईवा वाहन चोरी हुआ था। वाहन मालिक ने तुरंत थाना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह (IPS) के मार्गदर्शन में पुलिस की एक विशेष टीम बनाई गई। इस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया और पाया कि चोरी की गई हाईवा वाहन को पंजाब ढाबा के पास स्थित पेट्रोल पंप पर डीजल भरवाते हुए देखा गया था।
इसके बाद पुलिस ने पूरे जिले में विशेष निगरानी और नाकेबंदी की व्यवस्था की। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि गिरोह का एक सदस्य गुजरात में वाहन बेचने के लिए गया है, और अन्य सदस्य छत्तीसगढ़ में चोरी की वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। 21-22 अप्रैल को पुलिस ने इन आरोपियों को जाल में फंसाने के लिए विशेष निगरानी दलों को तैनात किया और अंततः 22-23 अप्रैल की रात आरोपियों को पकड़ लिया।
चोरी गई संपत्ति और कुल जब्ती
पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान दो हाईवा, जिनकी कीमत लगभग 30 लाख रुपये, चोरी में प्रयुक्त कार जिसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपये, और दो बाइक (प्रत्येक 50 हजार रुपये की) सहित चार मोबाइल फोन जिनकी कुल कीमत लगभग 60 हजार रुपये बताई जा रही है, जब्त किए। इस प्रकार कुल जब्त संपत्ति की अनुमानित कीमत 41 लाख 60 हजार रुपये है।
आरोपियों के नेटवर्क का विस्तार
पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक पूछताछ में यह भी सामने आया कि इस गिरोह का नेटवर्क न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों तक फैला हुआ था। गिरोह के सदस्य अपने वाहनों को विभिन्न राज्यों में बेचने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। गिरोह के अन्य सदस्य समीम खान और जमील खान का कार्य वाहनों को बेचने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करना था। पुलिस ने इन दोनों आरोपियों को रायपुर से गिरफ्तार किया है।
फरार आरोपी और आगे की जांच
पुलिस ने गिरोह के एक अन्य सदस्य रोशन खान को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। वह अभी भी फरार है और उसकी तलाश जारी है। इस गिरोह के अन्य चोरी किए गए वाहनों की बरामदगी के लिए पुलिस की पांच विशेष टीमें विभिन्न राज्यों में सक्रिय हैं।
पुलिस की इस बड़ी सफलता में थाना प्रभारी निरीक्षक लालजी सिन्हा, उप निरीक्षक रजनीकांत दीवान, सउनि राजकुमार चंद्रवंशी, दर्शन साहू, सुरेश जायसवाल, प्रधान आरक्षक खूबी साहू, आरक्षक बलीराम महोबिया और अन्य स्टाफ का योगदान सराहनीय रहा। इसके अलावा, साइबर विश्लेषण में निरीक्षक मनीष मिश्रा, सउनि चंद्रकांत तिवारी, आरक्षक संदीप शुक्ला और लेखा चंद्रवंशी का तकनीकी योगदान महत्वपूर्ण रहा। डीआरजी के जवानों ने भी घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन में सक्रिय भूमिका निभाई।