छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला, बर्खास्त बीएड सहायक शिक्षकों को मिलेगा पुनर्नियोजन; प्रयोगशाला सहायक शिक्षक के रूप में होगी नियुक्ति, राज्य कैबिनेट ने दी मंजूरी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार ने 2023 की सीधी भर्ती में सेवा समाप्त किए गए 2621 बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। राज्य कैबिनेट की हालिया बैठक में इन शिक्षकों को सहायक शिक्षक (विज्ञान प्रयोगशाला) के पद पर समायोजित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इस फैसले से हजारों शिक्षकों के भविष्य को स्थायित्व मिलने के साथ-साथ प्रदेश के स्कूलों में विज्ञान विषय की प्रयोगात्मक शिक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
राज्य सरकार के इस निर्णय से लंबे समय से समायोजन की मांग कर रहे शिक्षकों और उनके परिजनों में खुशी की लहर है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त 2023 के आदेश के बाद बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्तियां अमान्य घोषित कर दी गई थीं, जिसके चलते उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए डीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए।
कैबिनेट का ऐतिहासिक निर्णय
सीधी भर्ती 2023 में सेवा समाप्त 2621 बी.एड. अर्हताधारी सहायक शिक्षकों का सहायक शिक्षक विज्ञान (प्रयोगशाला) के पद पर समायोजन। pic.twitter.com/meMg5ISHg6— OP Choudhary (@OPChoudhary_Ind) April 30, 2025
संघर्ष की लंबी कहानी
बर्खास्तगी के बाद बीएड सहायक शिक्षकों ने रायपुर के नवा रायपुर स्थित तूता धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया था। आंदोलन के दौरान शिक्षकों ने पैदल यात्राएं, सामूहिक मुंडन, यज्ञ-हवन, जल सत्याग्रह, खून से पत्र, और अर्धनग्न प्रदर्शन जैसे कई प्रतीकात्मक और संवेदनशील विरोध प्रदर्शन किए। विभिन्न नेताओं और जनप्रतिनिधियों से समर्थन की मांग की गई, वहीं कई बार पुलिस कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा।
1 जनवरी को प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय का घेराव किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। आंदोलन के व्यापक असर और जनदबाव को देखते हुए सरकार ने 3 जनवरी को एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक समिति का गठन किया। इसके बाद से शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से विचार शुरू हुआ।
शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा नया आधार
राज्य सरकार के इस निर्णय से जहां बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों को न्याय मिला है, वहीं यह कदम प्रदेश की स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में भी मील का पत्थर माना जा रहा है। विज्ञान प्रयोगशालाओं में इन शिक्षकों की नियुक्ति से छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा का लाभ मिलेगा।