लोकसभा-विधानसभा चुनाव होंगे एक साथ : मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को दी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह एक ऐतिहासिक कदम है, जो देशभर में चुनावी प्रक्रिया को एक साथ आयोजित करने की दिशा में उठाया गया है। इस फैसले के बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जिससे चुनावी खर्चों में कटौती और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देश में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं। यह व्यवस्था हर पांच साल में एक बार होगी, जिससे चुनावी खर्च और बार-बार चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने की समस्या से बचा जा सकेगा। यह बीजेपी के लंबे समय से घोषित वादों में से एक रहा है, और अब इसे अमल में लाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।
राजनीतिक दलों का समर्थन
इस मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया गया था। उनमें से 47 दलों ने जवाब दिया, जिनमें से 32 दलों ने इस विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। बाकी 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
कैसे होंगे एक साथ चुनाव?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, और इसके 100 दिन बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस विषय पर समिति के सुझावों पर पूरे देश में चर्चा होगी और सभी नागरिकों से अपने विचार देने का आग्रह किया गया है।
मौजूदा कार्यकाल में लागू करेंगे: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर शाह ने कहा कि सरकार की योजना है कि इसे मौजूदा कार्यकाल में लागू कर दिया जाए। यह बीजेपी के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक था।
क्या होंगे एक साथ चुनाव के फायदे?
- चुनावी खर्च में कटौती: बार-बार होने वाले चुनावों में करोड़ों रुपए का खर्च होता है। एक साथ चुनाव होने से इस खर्च को कम किया जा सकेगा।
- विकास पर ध्यान केंद्रित: बार-बार चुनाव कराने से सरकार का ध्यान विकास कार्यों से हटकर चुनावी प्रक्रिया पर चला जाता है। एक साथ चुनाव से इस समस्या का समाधान होगा।
- आचार संहिता से राहत: हर चुनाव में आचार संहिता लागू होने से सरकार की नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। एक साथ चुनाव से यह समस्या कम होगी।
- काले धन पर रोक: बार-बार चुनाव में काले धन का प्रवाह बढ़ता है, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता है। एक साथ चुनाव से इस पर रोक लगेगी।