विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत ग्राम दौजरी एवं रवेली में कृषि रथ का आयोजन

कवर्धा। राज्य शासन द्वारा संचालित विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत जिले में किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने हेतु निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में विकासखण्ड कवर्धा के ग्राम दौजरी एवं रवेली में कृषि रथ का भव्य शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संयुक्त संचालक कृषि, दुर्ग संभाग गोपिका गबेल, सहित कृषि विभाग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में कृषकगण मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि श्री चंद्रवंशी ने खरीफ 2025 की तैयारी को लेकर किसानों से संवाद करते हुए उन्हें वैज्ञानिक पद्धतियों एवं नवीन कृषि तकनीकों को अपनाने की अपील की। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग से समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन लें, जिससे उत्पादन एवं लाभ दोनों में वृद्धि हो सके।
कार्यक्रम के दौरान 17 प्रतिशत नमक घोल द्वारा बीज शुद्धिकरण तथा वेस्ट डि-कम्पोजर के प्रयोग का जीवंत प्रदर्शन किया गया। इन तकनीकों ने किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज चयन और जैविक अपशिष्ट प्रबंधन की व्यावहारिक जानकारी दी।
संयुक्त संचालक कृषि गोपिका गबेल ने डीएपी खाद की सीमित उपलब्धता को देखते हुए किसानों को वैकल्पिक उर्वरकों जैसे 12:32:16, 20:20:0:13 एवं एसएसपी के प्रयोग की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से उर्वरक वितरण प्रक्रिया की भी जानकारी प्रदान की।
इस कार्यक्रम में कृषि उप संचालक अमित कुमार मोहंती, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक बी.पी. त्रिपाठी, डीपीडी सुशील वर्मा, कृषि विकास अधिकारी एन.के.एस. नरवरिया सहित विभाग के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कृषक उपस्थित थे।
श्री चंद्रवंशी ने बताया कि कृषि रथ 29 मई से 12 जून 2025 तक जिले के 78 पूर्वनिर्धारित ग्रामों का भ्रमण करेगा। इस दौरान किसानों को खरीफ फसलों की उन्नत तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर संतुलित उर्वरक उपयोग, फसल बीमा, तथा अन्य सरकारी योजनाओं एवं नीतियों की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही है।
अभियान के अंतर्गत किसानों से फीडबैक लेकर उनके नवाचारों पर वैज्ञानिक विमर्श किया जा रहा है, जिससे कृषि अनुसंधान को नई दिशा दी जा सके। यह समावेशी प्रयास जिले के किसानों को जागरूक, प्रशिक्षित और तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रहा है।