PM मोदी नहीं होंगे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान:राममंदिर के ट्रस्टी पत्नी के साथ करेंगे यजमानी, मोदी प्रतीकात्मक यजमान
22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सजधजकर तैयार है भगवान रामलला का दिव्य दरबार।

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। अभी तक इस तरह की खबरें थीं कि PM नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मुख्य यजमान हो सकते हैं, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और रामानंद संप्रदाय के श्रीमठ ट्रस्ट के महामंत्री स्वामी रामविनय दास ने दावा किया है कि PM मोदी मुख्य यजमान नहीं हैं।

PM मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर 60 घंटे तक मंत्रोच्चार सुनेंगे
प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों और मुहूर्तकारों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, UP CM योगी आदित्यनाथ, UP की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, संघ प्रमुख मोहन भागवत और मिश्रा दंपती मुख्य आयोजन के समय 22 जनवरी को उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी गर्भगृह में अपने हाथ से कुशा और श्लाका खींचेंगे। उसके बाद रामलला प्राण प्रतिष्ठित हो जाएंगे। उससे पहले 16 से 21 जनवरी तक 6 दिन की पूजा में डॉ. मिश्रा दंपती ही मुख्य भूमिका में रहेंगे। वे PM मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर 60 घंटे का शास्त्रीय मंत्रोच्चार सुनेंगे, जबकि 7वें दिन PM मोदी शामिल होंगे। उस दिन वह भोग अर्पित करेंगे और आरती भी करेंगे।

उधर, अयोध्या में आज यानी मंगलवार दोपहर सवा 1 बजे से रामलला प्राण प्रतिष्ठा के महाअनुष्ठानों की शुरुआत हो रही है। इसमें यजमान का प्रायश्चित, सरयू नदी में दश विधरनान, यजमान ब्राह्मण का सौर, पूर्वोत्तराङ्ग सहित प्रायश्चित, गोदान, पञ्च- गव्यप्राशन, दशदान और कर्मकुटी होम होगा।

गणेश्वर शास्त्री बोले- गृहस्थ ही बन सकते हैं यजमान
सबसे पहले हम राममंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के पास पहुंचे। जब हमने सवाल किया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय यजमान कौन होंगे? इस सवाल के जवाब में गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया यजमान को सपत्नीक शामिल होना होता है। यानी कि कोई गृहस्थ ही प्राण प्रतिष्ठा और पूरे 7 दिन की पूजा में हिस्सा ले सकेगा। ऐसे में पीएम मोदी गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य अनुष्ठान के साक्षी तो बनेंगे। लेकिन मुख्य यजमान नहीं होंगे। इससे पहले 2020 में राम मंदिर शिलान्यास के यजमान डॉ. रवींद्र नारायण सिंह और उनकी पत्नी थीं
पीएम मोदी प्रतीकात्मक यजमान होंगे
गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का जवाब जानने के बाद हम इस सवाल को लेकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आचार्यात्व करने अयोध्या पहुंचे पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटे पंडित अरुण दीक्षित से बात की। इन्होंने बताया कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री मोदी आएंगे। प्राण प्रतिष्ठा में शामिल भी होंगे। बाकी 7 दिन की पूरी पूजा का संकल्प लेने वाले यजमान दूसरे हैं। पीएम मोदी प्रतीकात्मक यजमान होंगे। यानी वे दूर से ही यजमानी के नियमों का पालन करेंगे।

पीएम मोदी 11 दिन तक यम नियम का पालन करेंगे
इस सवाल को लेकर हम एक बार फिर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल कर्मकांडी विद्वान पंडित वेंकटरामन घनपाठी से बात की। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ 22 जनवरी को गर्भगृह में रहकर मुहूर्त के दौरान कुशा और श्लाका खींचेंगे। वहीं, बाकी की पूजा ट्रस्टी अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी संपन्न करेंगी। पीएम मोदी भी एक तरह से यजमान ही हैं लेकिन वे बस प्रतीकात्मक हैं। नासिक में पूरे 11 दिन तक यम नियम का पालन करेंगे। दिन में एक समय फलहारी करेंगे।

स्वामी रामविनय दास बोले- गृहस्थ हों तो ही अच्छा होगा कर्मकांड
वहीं प्राण प्रतिष्ठा में यजमान के तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में जब रामानंद संप्रदाय में श्रीमठ ट्रस्ट महामंत्री के स्वामी रामविनय दास से बात हुई तो उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। इसमें गृहस्थ जीवन होना ही चाहिए। तभी, कर्मकांड अच्छे से ही होगा। वहां पर गृहस्थ को सरयू के जल से स्नान करना पड़ेगा।

इन दावों के बाद दैनिक भास्कर ने राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा से फोन पर बातचीत की। उन्होंने बताया, “मुख्य आयोजन में उन्हें यजमान बनाया जा रहा है या नहीं, इसका फैसला अभी ट्रस्ट ने फिलहाल नहीं लिया है। यजमानों पर ट्रस्ट जल्द ही विचार करेगा और सभी के नाम जारी होंगे।”

चंपत राय बोले- 22 जनवरी को गर्भगृह में 5 लोग तो मौजूद रहेंगे
इस सवाल को जब श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के सामने रखा गया तो उन्होंने बताया, “22 जनवरी को होने वाले मुख्य आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इसके अलावा यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सरसंघचालक मोहन भागवत, रामजन्म भूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास भी मौजूद रहेंगे। यजमानों की कोई आधिकारिक लिस्ट अभी जारी नहीं हुई है। लेकिन ये नाम लगभग फाइनल हैं।”
अंबेडकरनगर के हैं होम्योपैथ डॉक्टर हैं अनिल मिश्रा
डॉ. अनिल मिश्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में ट्रस्टी हैं। मूल रूप से अयोध्या के पड़ोसी जिले अंबेडकर नगर के रहने वाले हैं। फिलहाल वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के निदेशक रह चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रांत के कार्यवाहक हैं। पेशे से होम्योपैथ के मशहूर डॉक्टर हैं। वह शहर के रिकाबगंज और रीडगंज में अपना क्लिनिक भी चलाते हैं। डॉ. अनिल मिश्र के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और बहू हैं। दोनों बेटे भी पेशे से डॉक्टर हैं। 1981 में उन्होंने होम्योपैथी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली।

पंडित गणेश्वर द्रविड़ शास्त्री ने बताया कि मुख्य यजमान वही होगा जो शुरू से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में शामिल होगा। ऐसे में डॉ. अनिल मिश्रा ही मुख्य यजमान बनेंगे इसकी संभावना ज्यादा है। हमने लखनऊ के पंडित विद्यानंद शास्त्री से जाना कि आखिर मुख्य यजमान होता कौन है? पंडित विद्यानंद शास्त्री बताते हैं, यजमान कोई भी बन सकता है। यजमान का मतलब जिसके मन में भगवान का पूजा पाठ करने की इच्छा जागृत हुई हो। वह किसी आचार्य का वरण करके उसके माध्यम से पूजा कराता हो वह यजमान कहलाता है। यज्ञ हाेता है यज्ञ से यजन होता है। जिसके अंदर यज्ञ, यजन करने का भाव जगता है लेकिन वह स्वयं न करके आचार्य के द्वारा करवाता है और उनको वरण करता है तो कोई भी व्यक्ति बन सकता है। शास्त्रों के अनुसार जो भी यजमान होता है। अगर पति पत्नी दोनों जीवित हैं लेकिन अलग है तो उसका विकल्प निकाला जाता है जैसे भगवान राम ने जब अश्वमेध यज्ञ किया था तो माता सीता की मूर्ति बनवाई गई थी तब श्रीराम अनुष्ठान में शामिल हो पाए थे। शास्त्रों का नियम यही है।
पंडित विद्यानंद शास्त्री आगे बताते हैं कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 7 दिनों का है ऐसे में जो पहले दिन अनुष्ठान में शामिल होकर संकल्प लेगा वही मुख्य यजमान कहलाएगा। प्रधानमंत्री तो 22 जनवरी को आएंगे। वह थोड़े समय के क्रम के लिए आएंगे। ऐसे में वह प्रतीकात्मक यजमान कहलाएंगे। गणेश्वर द्रविड़ शास्त्री भी उदाहरण देते हुए बताते हैं, इससे पहले 2020 में राम मंदिर शिलान्यास के यजमान डॉ. रवींद्र नारायण सिंह और उनकी पत्नी थीं।
काशी और देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मणों की टीम अयोध्या में
काशी और देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मणों की टीम अयोध्या में है। इसमें रामलला प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्तकार पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित, पं. अनुपम दीक्षित, पं. अरुण दीक्षित, पं. सुनील दीक्षित, पं. गजानंद जोगकर और घटाटे गुरुजी इस पूरे 7 दिन की पूजा को लीड कर रहे हैं।
यजमानों को कुल 45 नियम का पालन करना होगा। सोमवार से यम, नियम और संयम लागू हो गया है। महर्षि पतंजलि के योग दर्शन के अनुसार यम और नियम के पालन से आत्मा की शुद्धि होती है। इसमें प्रायश्चित, गोदान, दशविध स्नान, प्रायश्चित क्षौर और पंचगव्य प्राशन आदि आता है।
अयोध्या में राम की 15 सखियां:राम के नाम का सिंदूर, गालियां भी राम के लिए, राम को जीजा मानता है सखी समुदाय
‘सुबह 5 बजे उठ जाती हूं। नहा-धोकर रामजी की पूजा करती हूं। फिर उनके नाम का सिंदूर लगाती हूं। मेरी तरह और भी सखियां हैं, सब रामजी के लिए सजती हैं। हम उनकी साली हैं, इसलिए उन्हीं के लिए सजते-संवरते हैं। अगर सजेंगे नहीं, तो जीजाजी बुरा मान जाएंगे।’
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अयोध्या में आज से राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा शुरू हो रही है। रामायण और राम को लेकर कई मिथक हैं, जिन्हें लोग सच भी मान लेते हैं। जैसे राम की बड़ी बहन थीं, सीता रावण की बेटी थी और भी ऐसी कई बातें हैं। हालांकि, इनकी सच्चाई कुछ और ही है। ये बातें अलग-अलग राम कथा का हिस्सा हैं। हम रामायण से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथक और वे किस रामकथा का हिस्सा हैं, ये बता रहे हैं। यहां