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रक्षाबंधन 2024 : सुबह में लग रही भद्रा, जानें तारीख, राखी बांधने का मुहूर्त, शुभ योग, महत्व

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भाई-बहन के रिश्ते के पवित्र बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार समर्पण, प्रेम और जिम्मेदारी के आदान-प्रदान का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। रक्षाबंधन 2024 को मनाने के लिए, भाई-बहनों को सही तारीख और समय का ज्ञान होना आवश्यक है ताकि वे इस पावन पर्व को सही समय पर संजो सके।

वर्तमान ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, रक्षाबंधन 2024 शुक्रवार, 19 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन भारतीय पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है। पवित्र रक्षासूत्र बांधने का कार्य इस दिन भद्रा काल के उपरांत करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। इस दिन, भद्रा सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक लगेगी। अतः इस काल के दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।

भद्रा समाप्ति के पश्चात राखी बांधने हेतु शुभ मुहूर्त की शुरूआत 9:00 बजे से होगी और यह मुहूर्त शाम 5:00 बजे तक रहेगा। इसके बाद, पुनः एक और शुभ मुहूर्त शाम 6:30 बजे से रात 8:00 बजे तक उपलब्ध होगा। इन दोनों शुभ समयावधियों में राखी बांधना और अन्य पूजन कार्य करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। इस प्रकार, जो भाई-बहन इस पवित्र अवसर को सास्वत बनाना चाहते हैं, उन्हें दिए गए शुभ मुहूर्त में ही इस कार्य को अंजाम देना चाहिए।

तो, भाई-बहनों के बीच इस अनमोल बंधन को सुदृढ़ बनाने के लिए, सही समय पर रक्षाबंधन मनाना न भूलें और अपने परिवार के साथ इस त्योहार का आनंद उठाएं।

भद्रा क्या है और इसका प्रभाव

भद्रा भारतीय ज्योतिष और धार्मिक महत्व में एक विशेष स्थान रखती है। भद्रा काल एक विशिष्ट समयावधि होती है, जिसे अशुभ माना जाता है और इस समय के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे कि राखी बांधना, विवाह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते। भद्रा काल मुख्यतः पंचांग और ज्योतिष विधियों के अनुसार निर्धारित किया जाता है और यह सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण या संक्रांति के समय विशेष रूप से प्रभावी होता है।

भद्रा के समय का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि इस काल में किए गए कार्यों का परिणाम अपेक्षित शुभ प्रभाव नहीं देता। यह काल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच विशेष अवधि में होता है और इसका समय पंचांग में पहले से अंकित होता है। भद्रा काल के समय राखी बांधना वर्जित है और इस समय को शुभ कार्यों से बचना चाहिए। इस काल को ध्यान में रखते हुए राखी बांधने का सही समय निर्धारित किया जाता है ताकि किसी भी प्रकार के अशुभ प्रभाव से बचा जा सके।

रक्षाबंधन 2024 के लिए भद्रा काल का समय विशेष महत्व रखता है। इस साल रक्षाबंधन के दिन सुबह में भद्रा काल लग रही है, जिससे राखी बांधने का शुभ मुहूर्त देर शाम या भद्रा समाप्ति के बाद ही तय करेगा। यही कारण है कि भाई-बहन को इस समय का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि वस्तुओं की शुभता बनी रह सके। भद्रा काल समाप्त होने के बाद राखी बांधने का उचित समय पंचांग और ज्योतिषियों द्वारा निर्धारित किया जाएगा। इस प्रकार, भद्रा काल का समुचित ज्ञान और पालन अत्यंत आवश्यक है ताकि रक्षाबंधन का पर्व शुभ और मंगलमय हो सके।

रक्षाबंधन 2024 के अवसर पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त अधिकांश बहनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस पवित्र पर्व पर सही समय पर राखी बांधने से भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और सफलता की कामना की जाती है। पंडितों के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त भद्रा समाप्ति के बाद ही होता है, क्योंकि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

2024 में रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल सुबह 9:30 बजे से 10:45 बजे तक रहेगा। इसके बाद ही रक्षा सूत्र बांधने का सिलसिला शुरू किया जा सकता है। इस दिन 10:45 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक का समय राखी बांधने के लिए अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सायं 4:30 बजे से 6:00 बजे तक भी यह मुहूर्त अच्छा माना जा रहा है। इस दौरान बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए उपयुक्त समय चुन सकती हैं।

उचित मुहूर्त में राखी बांधने से न केवल भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम और श्रद्धा का संचार होता है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। सही समय का चयन करने में विकट समय एवं भद्रा को ध्यान में रखते हुए, भाई की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, और खुशहाल जीवन की कामना की जाती है।

रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के संबंधों को और मजबूत बनाने का प्रतीक है। यह पर्व परम्पराओं, श्रद्धा एवं भाई-बहन के अटूट प्रेम का संवर्धन करता है। अतः सही मुहूर्त में राखी बांधने का विशेष महत्व है, जिससे इस पर्व का संपूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके।

रक्षाबंधन का महत्व और परंपराएँ

रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भाई-बहन के प्रेम और समर्पण को सम्मानित करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, जिसे राखी कहते हैं। यह रक्षासूत्र भाई की लम्बी उम्र, सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा की प्रार्थना के प्रतीक के रूप में बांधा जाता है। भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत करने तक ही सीमित नहीं है। यह त्योहार समाज में हर प्रकार के संबंधों को प्रोत्साहित करने का अवसर भी है। प्राचीन काल से ही यह त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आया है। कथा-कहानियों में राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसमें भगवान विष्णु अपने भक्त राजा बलि की रक्षा के लिए वचनबद्ध होते हैं, जो कि रक्षाबंधन के मूल भावना के अनुरूप है।

रक्षाबंधन के दिन कई परंपराएँ निभाई जाती हैं। बहनें शुभ मुहूर्त में राखी बांधने की तैयारी करती हैं। पहले भगवान की पूजा की जाती है, जिसमें थाली सजाई जाती है। इस थाली में राखी, चंदन, अक्षत (चावल), मिठाई और दीपक रखे जाते हैं। फिर बहनें अपने भाइयों की आरती उतारकर उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और राखी बांधती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन का महत्व यह भी है कि यह समाज में सौहार्द और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गहराईयों में जाकर एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है।

Ankita Sharma

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