BJP अध्यक्ष चुनाव पर सस्पेंस बरकरार; संघ-पार्टी में अभी नहीं बनी सहमति, संगठन में बड़े बदलाव के आसार कई राज्यों में बदलेगा प्रदेश अध्यक्ष

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस पर सबकी नजर टिकी है। पार्टी ने भले ही संगठनात्मक चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हों, लेकिन अभी तक अध्यक्ष के नाम को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच एक राय नहीं बन पाई है।
तीन राज्यों में संगठन चुनाव शुरू, 19 में प्रक्रिया बाकी
बीजेपी ने शुक्रवार को तीन राज्यों महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में प्रदेश संगठन के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं। महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू, बंगाल में सांसद रविशंकर प्रसाद और उत्तराखंड में केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा को जिम्मेदारी दी गई है। ये संकेत है कि पार्टी अब तेजी से संगठन के बाकी हिस्सों में भी चुनाव करवाना चाहती है।
हालांकि अभी तक 14 राज्यों में ही संगठनात्मक चुनाव पूरे हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कुल 19 राज्यों में ये प्रक्रिया पूरी होनी जरूरी है।
संघ चाहता है, अध्यक्ष ऐसा हो जो संगठन को मजबूत करे
संघ का रुख साफ है वह चाहता है कि नया अध्यक्ष ऐसा नेता हो जो पार्टी को संगठन के स्तर पर और मजबूत करे, न कि सिर्फ राजनीतिक चेहरा बनकर रहे। संघ पहले ही पार्टी आलाकमान को इस बारे में अपनी राय दे चुका है। संगठन की बात को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है।
4 से 6 जुलाई को हो सकती है निर्णायक बैठक
संघ की अखिल भारतीय प्रचारक बैठक 4 जुलाई से दिल्ली में शुरू हो रही है। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि यहीं पर बीजेपी नेतृत्व और संघ के बीच नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा हो सकती है, और कोई ठोस फैसला निकल सकता है।
अध्यक्ष बदलते ही संगठन में भी कई चेहरे बदल सकते हैं
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नया अध्यक्ष बनते ही बीजेपी के संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। खासतौर पर पार्टी के कई राष्ट्रीय महासचिवों की छुट्टी हो सकती है और नई टीम में युवाओं को मौका दिया जाएगा। संगठन को नया जोश और नई दिशा देने की तैयारी की जा रही है।
इतना ही नहीं, पार्टी के सबसे ताकतवर फैसले लेने वाले पार्लियामेंट्री बोर्ड में भी कुछ चेहरे बदले जा सकते हैं। इसका मकसद यह है कि क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन बेहतर किया जा सके और पार्टी को 2029 के चुनावों के लिहाज से मजबूत आधार मिल सके।
बड़ी बात: चेहरा नहीं, सोच बदलने की तैयारी
BJP इस बार केवल चेहरा नहीं, पूरी सोच बदलने की तैयारी में है। पार्टी अब ऐसे नेतृत्व को आगे लाना चाहती है जो संगठन में नीचे तक जुड़ा हो, और जो चुनावी नजरिए से ही नहीं, पूरे संगठन को नया आकार दे सके।
बीजेपी के नए अध्यक्ष का नाम जब भी तय होगा, वो सिर्फ एक बदलाव नहीं होगा, बल्कि आने वाले पांच साल की रणनीति की दिशा भी तय करेगा। संघ और पार्टी दोनों अपने-अपने तर्कों पर अड़े हैं, लेकिन अब सबकी नजरें 4-6 जुलाई की बैठक पर टिकी हैं जहां शायद इस सस्पेंस का अंत हो।