छत्तीसगढ़समाचार

रायपुर में शिक्षकों की भरमार, ग्रामीण स्कूल अब भी खाली: शिक्षा विभाग करेगा पुनर्विनियोजन

Advertisement

रायपुर | राजधानी रायपुर शिक्षकों की अत्यधिक पदस्थापना का केंद्र बन गया है, जहां कई स्कूलों में छात्रों की तुलना में शिक्षक कहीं अधिक हैं। वहीं दूसरी ओर, प्रदेश के 211 स्कूल ऐसे भी हैं जहां एक भी शिक्षक तैनात नहीं है। यह असंतुलन प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था की बड़ी खामी को उजागर करता है।

शिक्षा विभाग की हालिया समीक्षा में सामने आया है कि रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जैसे शहरी जिलों में शिक्षक स्वेच्छा से या अन्य प्रभावों के चलते स्थानांतरण कराकर पदस्थ हो गए हैं। परिणामस्वरूप, कुछ विद्यालयों में प्रति आठ से दस विद्यार्थियों पर एक शिक्षक कार्यरत है, जो राष्ट्रीय मानकों के विरुद्ध है। इसके विपरीत, अधिकांश ग्रामीण और आदिवासी अंचलों के विद्यालयों में शिक्षक विहीन स्थिति बनी हुई है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत राज्य भर के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात का सूक्ष्म विश्लेषण किया जा रहा है। जिन विद्यालयों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक हैं, वहां से अधिशेष शिक्षकों को चिन्हित कर कमज़ोर शालाओं में स्थानांतरित किया जाएगा।

विभाग का यह भी स्पष्ट निर्देश है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति हाल के वर्षों में किसी विद्यालय में हुई है, उन्हें सरप्लस मानते हुए प्राथमिकता से स्थानांतरित किया जाएगा। यह नीति इस उद्देश्य से बनाई गई है कि सभी छात्रों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिल सके।

शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त यह असंतुलन केवल प्रशासनिक समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक असमानता का भी संकेत है। राजधानी जैसे क्षेत्रों में पदस्थापना की होड़ के बीच जो छात्र दूरदराज के गांवों में शिक्षा की आशा लिए स्कूल जाते हैं, वे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया यदि ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू की गई, तो यह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

Advertisement

News Desk

शताब्दी टाइम्स - छत्तीसगढ़ का प्रथम ऑनलाइन अख़बार (Since 2007)
Back to top button
error: Content is protected !!