कुछ अलग है इन वोटरों की कहानी
गरियाबंद। हमारे गांव में न पार्टी पहुंचती है ना ही प्रत्याशी,चुनावी एजेंडा तक नहीं होता पता,फिर भी हम लोग वोट देने 50 किसी का पैदल सफर तय करते हैं. आने जाने में 3 दिन लग जाते है, लेकिन फिर भी हम अपना मतदान कर फर्ज निभाते है. ये कहाना छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के मैनपुर ब्लॉक के कमार वोटर्स का. मैनपुर ब्लॉक के राजीवगोद ग्राम कहे जाने वाले कुल्हाड़ी घाट के आश्रित ग्राम में रहने वाले कमार जनजाति के मतदाताओं पंचायत मुख्यालय से 24 किमी दूर ताराझर मतदान करने जाते है. यहां करीब 150 मतदाता रहते हैं, इतने ही मतदाता 10 किमी दूरी पर मौजूद भालूड़ीगी और मटाल में भी हैं.
50 साल पहले वे पहाड़ों के ऊपर बसे इन गांव में मौजूद लगभग 300 मतदाता मतदान के एक दिन पहले मुख्यालय पहुंचते है और एक दिन बाद पहाड़ों की चढ़ाई कर वापस जाना पड़ता है. ग्रामीण जगन्नाथ, जयसिंह कमार व वार्ड पंच बासुदेव सोरी कहते हैं कि मतदान पर्व में शामिल होने में उन्हें तीन दिन का वक्त जाया करना होता है
. आगामी 26 अप्रैल को मतदान के लिए वे 25 की सुबह अपने अपने गांव से निकल जाएंगे. उतरने में उन्हें महज 3 से 4 घंटा लगता है, जबकि चढ़ाई करने में 6 घंटे से ज्यादा वक्त लग जाता है. कुछ वोटर्स पहाड़ के नीचे कुकरीमाल में तो कुछ मुख्यालय में सरपंच बनसिंह के घर रुकते हैं. वोटिंग दोपहर से पहले हुआ तो वापस जाने की सोचते है नहीं तो मतदान के अगले दिन ये लौट जाएंगे.