Vice President Election 2025 Result: सीपी राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति, सुदर्शन रेड्डी को हराया; वोटों का पूरा गणित पढ़ें यहां


Vice President Election 2025 Result: संसद भवन के इतिहास में सोमवार का दिन एक अहम पड़ाव लेकर आया, जब उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बाजी मार ली। पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता राधाकृष्णन ने विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को कड़े मुकाबले में हराया।
संसद के ऊपरी सदन ने चुना नया चेहरा
उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 788 सांसदों को वोट डालना था, लेकिन सात सीटें खाली रहने से यह संख्या 781 रह गई। रिकॉर्डतोड़ 98.2 प्रतिशत मतदान के बीच 767 सांसदों ने वोट डाले। इनमें से 752 वोट वैध पाए गए। परिणामों में राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 मत मिले। जीत के लिए आवश्यक 391 के आंकड़े को राधाकृष्णन ने आसानी से पार कर लिया और इस तरह वे देश के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
विपक्ष की रणनीति और दावा अधूरा पड़ा
चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि इंडिया गठबंधन के सभी 315 सांसदों ने मतदान किया। यहां तक कि वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गैर-आधिकारिक बातचीत में 324 सांसदों के समर्थन की बात भी कही थी। लेकिन नतीजों ने विपक्ष के इन दावों की हवा निकाल दी। वहीं, बीजेडी के सात, बसपा के चार, अकाली दल के एक और निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा मतदान से अनुपस्थित रहे, जिससे मुकाबले की दिशा और भी स्पष्ट हो गई।
लंबा संगठनात्मक अनुभव, जमीनी जुड़ाव
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर संगठन और सत्ता दोनों के अनुभव से भरा रहा है। तमिलनाडु से आने वाले राधाकृष्णन महज 16 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति में पहुंचे। आगे चलकर उन्होंने भाजपा संगठन को मज़बूत किया और दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। उन्हें तमिलनाडु भाजपा की कमान भी सौंपी गई। हाल के वर्षों में वे महाराष्ट्र, झारखंड और तेलंगाना के राज्यपाल रहे। दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार के लिए उनका योगदान हमेशा चर्चा में रहा है।
न्यायपालिका से राजनीति की पिच तक
विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी न्यायपालिका में एक बड़ा नाम रहे हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, गुवाहाटी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर सेवाएं दीं। वर्ष 2007 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके अलावा वे गोवा के पहले लोकायुक्त बने, हालांकि सात महीने बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। विपक्ष ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर नैतिक मजबूती दिखाने की कोशिश की, मगर संसदीय समीकरण उनके पक्ष में नहीं जा सके।
सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी, विपक्ष की चुनौती बरकरार
चुनाव परिणामों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि एनडीए की संख्यात्मक ताकत संसद में विपक्ष से कहीं आगे है। राधाकृष्णन की जीत न केवल भाजपा के संगठनात्मक कौशल की झलक है, बल्कि यह भी संकेत है कि आने वाले वर्षों में एनडीए राज्यसभा की राजनीति पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखेगा। हालांकि, विपक्ष के एकजुट होने के दावे इस बार भी पूरी तरह रंग नहीं ला पाए, जिससे भविष्य की राजनीति में उसकी चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं।
