जनमंच

देवउठनी एकादशी से होगी मांगलिक कार्यों की शुरुआत

देवउठनी एकादशी को लेकर अलग-अलग मान्यताएं है।

देवउठनी एकादशी गुरुवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि चार मास के शयन के बाद भगवान विष्णु इस दिन नींद से जागते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह के रुप में भी मनाया जाता है। जहां तुलसी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है। पर्व के साथ ही शुभ कार्यों की शुरूआत भी होगी। इस साल शादी के लिए 28 नवंबर से विशेष मुहूर्त है।

देवउठनी एकादशी को लेकर अलग-अलग मान्यताएं है। खेड़ापति हनुमान मंदिर के पुजारी चंद्रकिरण तिवारी ने बताया कि चातुर्मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते। देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश सहित अन्य कार्यों की शुरुआत होती है। तुलसी विवाह भी इसी दिन होता है। मान्यता है कि इस जालंधर नाम के राक्षस की पत्नी वृंदा पतिव्रता थी।

जिसके पुण्य फल से राक्षस का वध नहीं किया जा सकता था। तब भगवान विष्णु ने जालंधर के रुप में पहुंचकर वुंदा के पुण्यफल को नष्ट किए। जिसके बाद भगवान शंकर ने जालंधर का वध किया। भगवान विष्णु की सच्चाई जानने पर वृंदा ने पत्थर बनने का श्राप दिया। पं. तिवारी ने बताया कि देवताओं के विनय पर भगवान विष्णु को फिर से दोष मुक्त किए। साथ ही भगवान विष्णु को पूर्व जन्म में पति रुप में मांगने की बातें देवताओं द्वारा बताई गई। तब से वृंदा को तुलसी के पौधे के रुप में और भगवान विष्णु को शालीग्राम के रुप में पूजा जाता है। साथ ही देवउठनी एकादशी को विवाह किया जाता है।

खरमास में नहीं कर पाएंगे विवाह: देवउठनी एकादशी के बाद 13 दिसंबर से खरमास प्रारंभ जो 13 जनवरी तक रहेगा। खरमास में भी विवाह सहित अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। पं आशीष पाठक ने बताया कि 28 नवंबर से विवाह के लिए मुहूर्त है। जिसके बाद 29 नवंबर, दिसंबर माह में 04, 07, 08, जनवरी माह में 20, 30, 31, फरवरी में 04, 06, 14, 18, 19 और मार्च माह में 02, 03, 04 को भी विशेष मुहूर्त है।

मंत्रोच्चार किया जाएगा नए फल भी करेंगे अर्पित

गुरुवार को तुलसी विवाह में गन्ने से मंडप बनाया जाता है। पं. आशीष पाठक ने बताया कि गोधुली बेला में शालीग्राम और तुलसी विवाह करना विशेष शुभ माना जाता है। इस साल रात 9.01 बजे तक तुलसी विवाह के मुहूर्त है। साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। तुलसी को कन्या मानकर क्षमतानुसार दान भी किया जाता है। नए फल का भी भोग एवं भेंट के रुप में अर्पित करते है। जिनमें बेर, अमरुद, सिंघाड़ा, सेव, केला, आंवला विशेष रुप से अर्पित करते हैं।

1000 F 542578768 8vkMUgRwSbU3ir0lyhJvEMSpZHfMLpNU

Ankita Sharma

shatabditimes.page बदलते भारत की सबसे विश्वसनीय न्यूज़ पोर्टल है। सबसे सटिक और सबसे तेज समाचार का अपडेट पाने के लिए जुडिए रहिये हमारे साथ.. shatabditimes.page के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें. https://whatsapp.com/channel/0029VaigAQIInlqOSeIBON3G
Back to top button
error: Content is protected !!