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अमेरिका-यूक्रेन रिश्तों पर छाया संकट : व्हाइट हाउस में भिड़े ट्रंप-जेलेंस्की, गरमा गई बहस, ठंडा पड़ा लंच!

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हुई बैठक अप्रत्याशित रूप से तनावपूर्ण हो गई। दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद जेलेंस्की बिना खाना खाए वहां से निकल गए। इस घटनाक्रम ने अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में बढ़ते तनाव को उजागर कर दिया है।

बैठक में क्या हुआ?

बैठक की शुरुआत तो सामान्य रही, लेकिन जैसे-जैसे वार्ता आगे बढ़ी, दोनों नेताओं के बीच मतभेद गहराते चले गए। चर्चा का मुख्य विषय रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका द्वारा दी जाने वाली सैन्य सहायता था। जेलेंस्की ने रूस की कूटनीति पर संदेह जताया और कहा कि “रूस ने वैश्विक मंच पर कई बार अपने वादों का उल्लंघन किया है।” उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि अमेरिका को यूक्रेन का समर्थन जारी रखना चाहिए और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

हालांकि, ट्रंप इस बात से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने जवाब दिया कि “पुतिन ने मेरे साथ किए गए समझौतों का उल्लंघन नहीं किया है।” ट्रंप ने आगे कहा कि वे इस युद्ध में किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं और उनकी प्राथमिकता अमेरिकी हितों की रक्षा करना है।

बहस तेज हुई, ट्रंप ने लगाई फटकार

बैठक के अंतिम दस मिनटों में माहौल और गर्म हो गया। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेस ने जेलेंस्की को सलाह दी कि वे इस मुद्दे को मीडिया के सामने उठाने के बजाय निजी चर्चा में हल करें। लेकिन जब जेलेंस्की ने इस पर आपत्ति जताई, तो ट्रंप ने गुस्से में कहा, “आप लाखों लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं।”

ट्रंप ने आगे कहा, “अमेरिका ने आपको जिस तरह से समर्थन दिया है, वैसा बहुत से लोग मानते हैं कि उसे नहीं देना चाहिए था। आप जिस तरह से बात कर रहे हैं, वह इस देश के लिए असम्मानजनक है।”

इसके बाद ट्रंप के शीर्ष सलाहकारों ने जेलेंस्की से कहा कि अब उन्हें व्हाइट हाउस छोड़ देना चाहिए। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के चलते पहले से तय दोपहर के भोजन की योजना भी रद्द कर दी गई। कैबिनेट कक्ष में रखी सलाद की प्लेटें और अन्य भोजन कर्मचारी पैक करते नजर आए।

खनिज समझौता अधर में लटका

इस बैठक के दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच एक महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर भी चर्चा होनी थी। इस समझौते के तहत अमेरिका को यूक्रेन में मौजूद दुर्लभ खनिज संसाधनों तक पहुंच मिलती और बदले में यूक्रेन को भारी आर्थिक सहायता प्राप्त होती। यह डील यूक्रेन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही थी क्योंकि वह इस समय युद्धग्रस्त हालात में आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

ट्रंप ने इससे पहले कहा था कि यह समझौता यूक्रेन को रूस के साथ जारी युद्ध को समाप्त करने में मदद करेगा। लेकिन इस बैठक के बाद ट्रंप ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। इससे साफ संकेत मिलता है कि अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में नई दरार आ गई है।

ट्रंप का कड़ा रुख

बैठक के बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “जेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने ओवल ऑफिस में सम्मान नहीं दिखाया। वह तभी बातचीत के लिए वापस आ सकते हैं जब वे शांति के लिए तैयार होंगे।”

इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि ट्रंप अब यूक्रेन को लेकर अपनी नीति में बदलाव कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका के हितों की रक्षा करना है, न कि किसी और देश के संघर्ष में उलझना।

जेलेंस्की ने पुतिन पर लगाए गंभीर आरोप

बैठक के दौरान जेलेंस्की ने पुतिन पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “पुतिन ने संघर्ष विराम और अन्य समझौतों को 25 बार तोड़ा है। उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।” लेकिन ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुतिन ने उनके साथ किए गए समझौतों का उल्लंघन नहीं किया है।

ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि “मुझे लगता है कि खनिज समझौता इस युद्ध को समाप्त करने में मदद कर सकता है।” लेकिन जेलेंस्की इस पर सहमत नहीं थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका को यूक्रेन का समर्थन बनाए रखना चाहिए और रूस पर दबाव बढ़ाना चाहिए।

वैश्विक असर

इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद दुनियाभर में चर्चा तेज हो गई है। अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में बढ़ते तनाव का असर यूरोपीय देशों और नाटो पर भी पड़ सकता है।

यूक्रेन को अब तक अमेरिका से 180 अरब डॉलर से अधिक की सहायता मिल चुकी है। लेकिन अगर ट्रंप अपने रुख पर कायम रहते हैं, तो भविष्य में यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन कम हो सकता है। इससे यूक्रेन की सैन्य रणनीति प्रभावित हो सकती है और रूस को इसका फायदा मिल सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस रुख से यूरोप में तनाव और बढ़ सकता है क्योंकि अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा सहयोगी है। अगर अमेरिका यूक्रेन को समर्थन कम करता है, तो यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ जाएगा कि वे खुद यूक्रेन की मदद करें।

आगे क्या?

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस झगड़े के बाद अमेरिका-यूक्रेन संबंधों का भविष्य क्या होगा। क्या ट्रंप अपने फैसले पर दोबारा विचार करेंगे? क्या जेलेंस्की अमेरिका को मनाने के लिए कोई नया प्रस्ताव लाएंगे?

हालांकि, ट्रंप के बयान से यह साफ है कि वे यूक्रेन को बिना शर्त समर्थन देने के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना है कि “यूक्रेन को अब शांति वार्ता पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”

वहीं, जेलेंस्की के लिए यह एक मुश्किल घड़ी हो सकती है। अगर अमेरिका अपने समर्थन में कटौती करता है, तो यूक्रेन को अन्य देशों पर अधिक निर्भर रहना पड़ सकता है।

Ankita Sharma

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